tag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post2433676932855716521..comments2023-09-25T07:33:42.199-07:00Comments on तत्सम: हरिशंकर परसाई के व्यंग्यप्रदीप कांतhttp://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-25708003150222931282010-08-31T01:45:02.695-07:002010-08-31T01:45:02.695-07:00पारसी जी की इन रचनाओं की याद ताज़ा कराने के लिए आभा...पारसी जी की इन रचनाओं की याद ताज़ा कराने के लिए आभार.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-34611370083067722252010-08-27T06:10:40.175-07:002010-08-27T06:10:40.175-07:00इसीलिए तो परसाई जी परसाई जी हैं।इसीलिए तो परसाई जी परसाई जी हैं।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-17908516887820693212010-08-25T09:47:35.501-07:002010-08-25T09:47:35.501-07:00इस बार बलराम अग्रवाल जी की निम्न लिखित टिप्पणी मेल...इस बार बलराम अग्रवाल जी की निम्न लिखित टिप्पणी मेल से मिली है - <br /><br />प्रिय भाई<br />रक्षा-बंधन के पावन-पर्व पर हार्दिक बधाई। टिप्पणी पोस्ट नहीं हो पाई इसलिए मेल द्वारा भेज रहा हूँ।<br />यद्यपि पूर्व-पठित रचनाएँ हैं तथापि परसाईजी को उनके जन्मदिवस पर याद करने हेतु आप बधाई के पात्र हैं। नि:संदेह परसाईजी हिन्दी व्यंग्य के प्रस्थापक एवं अमिट हस्ताक्षर हैं। आपके छायाचित्रों ने तत्सम को बहुत आकर्षक बनाया हुआ है।प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-64201916832453480502010-08-24T05:53:53.544-07:002010-08-24T05:53:53.544-07:00सुंदर चयन है। परसाई जी होते तो दूसरे व्यंग्य- यस ...सुंदर चयन है। परसाई जी होते तो दूसरे व्यंग्य- <b>यस सर</b> के संबंध में सुझाव देता कि उसका अंत कुछ ऎसे होना चाहिए-<br />मुख्यमंत्री ने कहा- अरे, मैंने तो दूसरे ही दिन कह दिया था। <br />लेखक ने कहा- जी हां, ऊपर से नीचे तक हर कोई दूसरे ही दिन आगे कहता रहा। <br />और इस तरह से शीर्षक भी बदल जाता और फ़िर <b>अगला दिन</b> भी हो सकता है।विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-76923047480444009272010-08-23T16:31:52.337-07:002010-08-23T16:31:52.337-07:00आभार परसाई जी के व्यंग्य पढ़वाने का.आभार परसाई जी के व्यंग्य पढ़वाने का.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com