tag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post7107720014263604599..comments2023-09-25T07:33:42.199-07:00Comments on तत्सम: गांधी के ब्रह्यचर्य पर नई बहस - डॉ वेद प्रताप वैदिकप्रदीप कांतhttp://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-68976599560029534932011-04-21T03:15:31.650-07:002011-04-21T03:15:31.650-07:00pradeep jee aap ko sadhuwad ki hume ye aalekh padh...pradeep jee aap ko sadhuwad ki hume ye aalekh padhwayaa aur ved saab ka aabhar !<br />saadarसुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-1809731859906187772011-04-08T10:35:08.669-07:002011-04-08T10:35:08.669-07:00अपने देश में बिना किसी तर्कशीलता के अथवा बिना किसी...अपने देश में बिना किसी तर्कशीलता के अथवा बिना किसी तथ्यात्मक प्रमाण के शास्त्रों, बड़ी उम्र के लोगों, धनी एवं प्रभावशाली महाशयों तथा विदेशियों की बातों पर विश्वास कर लेने का चलन-सा है। अब से करीब बीस साल पहले किसी विदेशी पुस्तक के हवाले से मेरे एक 'संघी' साथी ने गाँधीजी के बारे में बेहद घिनौना 'सच' विश्वासपूर्वक मुझे बताया था। तब मैंने केवल इतना ही उनसे कहा था कि गाँधी इस देश की ही नहीं, विश्वभर की नैतिक-सम्पदा हैं और उनके चरित्र पर केवल इसलिए कीचड़ उछालना कि सैद्धांतिक दृष्टि से आप उन्हें नापसंद करते हैं, वस्तुत: समूची मानव जाति की नैतिक-सम्पदा पर कीचड़ उछालने जैसा है। मुझे लगता है कि इस मामले में भी लगभग वही हो रहा है। इस लेख के लिए आपको व आदरणीय वैदिक जी को साधुवाद।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.com