tag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post1111975245559379690..comments2023-09-25T07:33:42.199-07:00Comments on तत्सम: सरलता के बहाने....प्रदीप कांतhttp://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-70978212100610333632013-08-06T21:52:20.471-07:002013-08-06T21:52:20.471-07:00सर्वप्रथम प्रभु जी का हार्दिक आभार की उन्होंने नित...सर्वप्रथम प्रभु जी का हार्दिक आभार की उन्होंने नितांत सहज भाषा में हिंदी के विस्थापन स्वरुप हो रही सरकारी खेमे की कलई बड़ी मुखरता के साथ खोल दी। <br />कैसी विडम्बना है .....हम हिन्दीभाषी होकर भी हिंदी की चर्चा पर दिवस तय करने लगे हैं , हिंदी पखवाड़ा मनाने लगे हैं | हिंदी , हमारी मातृभाषा...( जिसके कारन ही राज भाषा विभाग बनाये गए और वही पदासीन अधिकारी हिंदी का समूल विस्थापन करने में संलिप्त हैं )<br />परन्तु आज के सापेक्ष में मात्र एक भाषा बन कर रह गई है | और मजे की बात ये की इसका पूर्ण श्रेय किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं हम घर के विभीषणों को ही जाता है | <br />एक वक़्त था जब हिंदी आमो-खास की भाषा हुआ करती थी, पर आज वो खास लोगो के लिए महज़ एक आम भाषा बन कर रह गई है...<br />.अब प्रश्न ये उठता है की ऐसा हुआ क्यूँ ? किसी और भाषा का कसूर तो कतई नहीं है ये....क्यूँ की भाषा स्वयं कभी अपना वर्चस्व नहीं बयां करती वो तो<br /> अभिव्यक्ति को संप्रेषित करने का माध्यम मात्र है, और भावों को एक से दूसरे तक पहूँचा कर तृप्त हो जाती है...ये हम ही है जो भाषा को एक सम्प्रेषण का <br />माध्यम ना मान कर अपने अहम् को तुष्ट करने का माध्यम मानते हैं |<br />आज का युवा हिंदी बोलने, पढने , यहाँ तक की हिंदी में सोचने में भी सकुचाता है ,किसी विदेशी भाषा को जानना उसमे सोचना और उसे बोलचाल की भाषा<br /> में इस्तेमाल करना उसके लिए फख्र का विषय है | अंग्रेजी को अहम् स्थान देने के पीछे की मूल वजह थी उच्चा शिक्षा में पठन सामग्री की उपलब्धता |<br /><br /> परन्तु मूल वजह के साथ हमने उसे अपनी आवश्यकता बनाने ,प्राथमिकता देने के साथ उसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया | यहाँ तक की आज के परिपेक्ष में अंग्रेजी ना आना मानो व्यक्ति इंसान ही नहीं है | <br /><br />किसी और से क्या शिकायत की जाये जब हमारे संविधान ही में किसी भी अनुच्छेद में हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्ज़ा तक नहीं दिया गया | <br />हिंदी की जंग आज केवल विदेशी भाषाओँ से ही नहीं वरन क्षेत्रीय भाषाओँ से भी है | संपूर्ण भारत ही में हिंदी सर्वमान्य नहीं...<br />व्यक्ति विशेष अपनी क्षेत्रीय बोली को ही तवज्जो देना पसंद करता है | अपनी भाषा को मान देना भी शायद हमें अब बाहरी देशों से सीखना होगा, चाइना में किसी <br /> भी तरह का अध्ययन करने के लिए बाहर से आये प्रत्येक व्यक्ति को चाइनीज़ सीखनी अनिवार्य है | सभी प्रकार की पठन सामग्री वहां चाइनीज़ भाषा में सहज ही <br />उपलब्ध है | हम क्यूँ नहीं अपनी भाषा को उसका स्थान देने हेतु प्रयास करते ? क्या हम उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब की हिंदी लुप्तप्राय भाषाओँ में सम्मिलित होगी ?<br />हिंदी की असली तस्वीर कहीं और नहीं हमारे मन-मस्तिष्क में है, केवल सहर्ष उसे अपनाना शेष है | हिंदी की ओर एक कदम, थोडा सा प्रयास, थोडा सा सम्मान और हिंदी..<br />.हमारी मात्रभाषा निसंदेह पुन: सिरमौर होगी इसमें कोई दो राय नहीं....हिंदी भाषा के विस्थापन की इस प्रक्रिया से में चिंतित जरूर हूँ परन्तु यह कहने और मानाने में मुझे कोई गुरेज नहीं की , जब तक हिंदी बोलने वाला एक व्यक्ति भी जीवित है उसका नाश संभव नहीं , और मुझे फख्र है की इसे कई व्यक्ति अभी इस देश में हैं जो हिंदी से मेरी और आपकी ही तरह प्यार करते हैं और किसी कीमत पर भी उसे विस्थापित अथवा लुप्त नहीं होने देंगे। <br /><br />पूजा भाटिया प्रीत Pooja Bhatiahttps://www.blogger.com/profile/03904863659354014021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-28672535576985852532011-11-30T07:40:21.188-08:002011-11-30T07:40:21.188-08:00Ekadh koyi shabd prachalan ke karan upyog me liya ...Ekadh koyi shabd prachalan ke karan upyog me liya jaye to theek hai,lekin 'vidyarthi' jaisa shabd to hindi me rahna chahiye.kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-79107703828899223382011-11-17T01:23:11.636-08:002011-11-17T01:23:11.636-08:00बहुत अच्छा लिखा आपने !
इसके लिए आपको बहुत बहुत बधा...बहुत अच्छा लिखा आपने !<br />इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई !<br /><br />मेरे ब्लॉग पर आये<br />manojbijnori12 .blogspot .comManoj Kumarhttps://www.blogger.com/profile/16191596962503653854noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-11263179470830194692011-11-11T01:46:38.842-08:002011-11-11T01:46:38.842-08:00आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । पोस्ट रोचक लग...आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । पोस्ट रोचक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-61710938521212222672011-10-29T17:35:00.644-07:002011-10-29T17:35:00.644-07:00बहुत ही उम्दा आलेख बधाई डॉ० प्रभु जोशी जी और भाई प...बहुत ही उम्दा आलेख बधाई डॉ० प्रभु जोशी जी और भाई प्रदीप जीजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-38550166803497058992011-10-29T17:34:58.964-07:002011-10-29T17:34:58.964-07:00बहुत ही उम्दा आलेख बधाई डॉ० प्रभु जोशी जी और भाई प...बहुत ही उम्दा आलेख बधाई डॉ० प्रभु जोशी जी और भाई प्रदीप जीजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.com