tag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post2970645614048555801..comments2023-09-25T07:33:42.199-07:00Comments on तत्सम: मेरे कमरे में आसमान भी था- हरजीत की गज़लें प्रदीप कांतhttp://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2979696410249369738.post-27943594396638819542021-12-03T21:19:37.549-08:002021-12-03T21:19:37.549-08:00वाकई लाज़वाब कहन है ,हर शेर उम्दा ,बेमिसाल, लाजवाब...वाकई लाज़वाब कहन है ,हर शेर उम्दा ,बेमिसाल, लाजवाब<br /><br />प्रदीप जी शुक्रिया ऐसी गजलें पढ़वाने के लिए रचना प्रवेशhttps://www.blogger.com/profile/04303836897391156919noreply@blogger.com