बुधवार, 31 दिसंबर 2008

आस ही विश्वास है

नव वर्ष - २००९ की शुभकामनाओ के साथ तत्सम में आपका स्वागत।

बहुत दिनों से उलझन में था - ब्लॉग पर आने को लेकर। साहित्य के लिये तकनीक के उपयोग को लेकर। किन्तु वर्तमान समय को महसूसते हुऐ लगने लगा है कि अब तकनीक यानि इन्टरनेट लोगों तक पहुँचने का एक सशक्त माध्यम है और तमाम सही चीज़ों के लिये इसका उपयोग ज़रूरी है। अन्तत: शुरूआत कर ही दी है। प्रथम प्रस्तुति में अपनी एक कविता लगा रहा हूँ। इस विश्वास के साथ कि नये साल में शायद कुछ अच्छा हो, जैसे भटके हुऐ बच्चे घरों को लौट आऐ। कविता पढ़ें और विचारों का घमासान करें।

विश्वास

स्कूल जाते

बच्चे के बस्ते में

चुपके से डाल देता हूं

कुछ अधूरी कविताएं

इस विश्वास के साथ

कि वह

पूरी करेगा इन्हें

एक दिन

7 टिप्‍पणियां:

Astrologer at your service ने कहा…

भाई बधाई देर आए दुरूस्त आए। कविता की पंक्तियाँ अच्छी हैं।नए वर्ष का तोहफा अच्छा लगा। लगे रहो मुन्ना भाई।

Unknown ने कहा…

kash mein phir bachapan mein lot jata aur bo basta mera hota, mere under ke bachapan abhi saath hai isliye koshish may koi burai nahi.
स्कूल जाते

बच्चे के बस्ते में

चुपके से डाल देता हूं

कुछ अधूरी कविताएं

इस विश्वास के साथ

कि वह

पूरी करेगा इन्हें

एक दिन

चुपके से एक दिन कविता के
स्कूल इस विश्वास के साथ apna bhi basta leker pahunchu aur koj lun tumhe tumhari adhuri kavitaaoun may. Kuch apne pita ki kavitanen bhi muze puri karani hai.

Arun Aditya ने कहा…

अच्छी शुरुआत है। कविता भी अच्छी है। बधाई ब्लागरे-आज़म।

Bahadur Patel ने कहा…

bahut achchhi shuruat hai.likhate rahen maza aayega.

स्कूल जाते बच्चे के बस्ते में
चुपके से डाल देता हूं
कुछ अधूरी कविताएं
इस विश्वास के साथ कि
वह पूरी करेगा इन्हें एक दिन
achchhi kavita hai. badhai.
mere blog par bhi padhren.
bahadurpatel.blogspot.com

प्रदीप कांत ने कहा…

Astrologer at your service भाई, पुरुषोत्तमजी, अरुण भाई और बहादुर भाई, हौसला आफ़्जाई के लिये आप सबका शुक्रिया

Bahadur Patel ने कहा…

pradeep bhai genhoon ki balee par bhi to padhren. kripaya tippaniyon se vord verificatio jarur hata deven.

Kamal Kishore Punetha ने कहा…

accha prayaas,ho puri adhuri aas
koi ek bhi baccha gar,
puri karta hai,yaa yau kahen
koshis bhi karta hai
tau sarthak hai prayaas
or jaruur karega pura
kisi ko ho na ho
mujhe pura hai viswas.....
sarthak soch mai hee sarthak paridam chupe hote hain pradeep bhai,lage raho.--kamal