गुरुवार, 8 जनवरी 2009

एक पुरातन कविता

लगभग १२०० साल पुरानी इस कविता के रचियेता एक चीनी प्रशासक बाई जूई का जन्म सन ७७२ में चीन के हेनान प्रदेश के जिन्जेंग नामक स्थान पर हुआ था। अपनी स्पष्ट वादिता के कारण उन्हे अक्सर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। किन्तु नवीं शताब्दी के चीन में घोर सामन्तवादी वातावरण में भी वे आम आदमी और गऱीबों के पक्षधर रहे और अपने युग के लोक कवि कहलाये उनकी कविताएँ पढ़ने के बाद महसूस होता है कि वे आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उस समय रही होंगी। यह कविता के उनके कविता संग्रह तुम! हाँ, बिल्कुल तुम से ली है। जिनका अनुवाद प्रियदर्शी ठाकुर `ख़याल' ने किया है। प्रियदर्शी ठाकुर `ख़याल' का जन्मअगस्त १९४६ में मोतीहारी, बिहार में हुआ। `ख़याल' अपने मूल नाम से हिन्दी कविताएँ और `ख़याल' तख़ल्लुस से ऊर्दू गज़ल़ें लिखते हैं। प्रियदर्शी ठाकुर `ख़याल' के प्रकाशनों में टूटा हुआ पुल (कविता) तथा रात गये और धूप तितली फूल (गज़ल) शामिल है। बाई जूई की कुछ और कविताएँ फ़िर कभी...

भेड़िये

शहतूत और सण के पौधे
रोपे जाते हैं
सबसे अच्छे खेतों में
लोगों की माली हालत सुधारने के लिये,
इसलिये कि वे रेशम और कपड़े
बना सकें,
गुज़र-बसर चला सकें
और अदा कर सकें सरकारी कर

कर की दरें
कानूनन तय हैं
और वसूली के क़ायदे
और
ग़ैर अदायगी के लिये सज़ायें,
सबको मालूम
लेकिन वक़्त के साथ
लोगों ने पुराने कानूनों को
तोड़ना शुरू कर दिया है
और अफसरों ने लोगों को लूटना,
और इस तरह इकट्ठा किये गये
धन से
अपने ऊपर के अफसरों को
राज़ी करने लगें हैं
दे दे कर उपहार
रेशम करघे से अलग हुआ नहीं
कि धमकता है
कर-समाहर्ता ---
अपनी माँगें लेकर !
साल के आख़री दिनों में
जब ठंड बढ़ जाती है
और ज़मीन पर बर्फ़ की
मोटी तह जमी होती है,
आधी रात, अलाव के बुझ जाने के बाद
बच्चों और बुजुर्गों के पास
ठंड से बचने का कोई तरीका नहीं होता ;
सब झेलते हैं तकलीफ़ें साथ-साथ
और दूसरी और,
जब लोग कर अदा करने जाते हैं
तो रेशम और मलमल के
अंबार लगे पाते हैं
सरकारी गोदामों में,
जैसे वस्त्रों के विशाल बादल
कर-समाहर्ता
इन्हे मात्र `छीजत' का नाम देकर
अपने उच्चाधिकारियों को उपहार के लिये
करते हैं इनका इस्तेमाल ;
जनता का धन चुराकर
प्राप्त करते हैं
अपने लिये कृपा !
फिर भी पड़ा-पड़ा यह धन
ज़ियादातर सड़ता ही रहता है
अमीरों के मालख़ानों में,
होता हुआ मिट्टी !

4 टिप्‍पणियां:

Bahadur Patel ने कहा…

bahut hi badhiya hai.achchha kam kiya aapane.

Krishna Patel ने कहा…

bahut hi achchhi kavita hai.aap ese hi likhate rahiye.

Arun Aditya ने कहा…

shabaaash. bahut achchha.

rakeshindore.blogspot.com ने कहा…

BHai pradeep ,
Congratulation for writing blog .
your poetik depth is present in all of your poems on blog . I am very late to visite on your blog . pl. excuse me.