एक आदमी रोटी खाता है
एक आदमी रोटी बेलता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है
न रोटी खाता है
वह सिर्फ रोटियों से खेलता है
मैं पूछता हूँ
यह तीसरा आदमी कौन है
मेरे देश की संसद मौन है।
- धूमिल
तीसरे आदमी के बारे में संसद भले मौन है लेकिन सत्ता की मदहोशी और विपक्ष की फालतू तिलमिलाहट के लिये संसद केवल मुखर ही नहीं जूता मारो संस्कृति को बेहिचक अपना लेती है। संसद है या सड़क?
खैर, सत्ता पक्ष का ये हाल केवल हमारे यहाँ ही नहीं अन्य देशों में भी है। अब यह आप पर है कि फोटो देख कर आप खुश भी हो सकते हैं और दुखी भी। खुश इसलिये कि एक हम ही नहीं, और भी हैं हमारे जैसे। और दुखी इसलिये कि सत्ता हो विपक्ष, दोनो का चरित्र हमेशा एक जैसा रहा है- सत्ता के लिये लालायित, निहायत स्वार्थी, फालतू मुद्दों की आड़ में, जनता जाऐ भाड़ में।
इसे हँसी में न टालिये, आपकी गम्भीर टिप्पणियों की बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी।
फोटो: मित्र संजय लिखार द्वारा भेजे एक इमेल से साभार