बुधवार, 25 जनवरी 2012

एक कविता यह भी...


शुभकामनाएँ


शुभकामनाएँ
उस गणतंत्र दिवस की जो 63 साल से मनाया जा रहा है
उस संविधान के लिये जिसमें कई संशोधन हो चुके हैं

उस संविधान के लिये...

जिसका पालन हम सीधे सादे लोग लगातार करते हैं
और कुछ सरफिरे उडाते हैं
धज्जियाँ उसी की स्वछन्दता पूर्वक

उस गणतंत्र के लिये
जिसके हम अधिकारी हैं

और सही मायने में
जिसका इंतज़ार है अब भी

- प्रदीप कान्त



(फोटो: प्रदीप कान्त)

3 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Gantantr Diwas kee anek shubh kamnayen!

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई प्रदीप जी बहुत अच्छी कविता बधाई |

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

bahut badhiya kavita....maarak !