जिसका मुझे इंतज़ार था वह कार्य
अंतत: हो ही गया है।
बोधि प्रकाशन, जयपुर से आने वाली यह किताब आखिर
को इन्दौर में मेरे पास आ ही गई है - मेरा पहला ग़ज़ल संग्रह, जिसका मुझे ही नहीं, बहुत से दोस्तों को भी बेसब्री से
इंतज़ार था। इसी संग्रह से एक ग़ज़ल
किसी न किसी बहाने की बातें
ले देकर जमाने की बातें
उसी मोड़ पर गिरे थे हम भी
उसी मोड़ पर गिरे थे हम भी
जहाँ थी सम्भल जाने की बातें
रात अपनी ग़ुज़ार दें ख़्वाबों में
सुबह फिर वही कमाने की बातें
समझें न समझें हमारी मर्ज़ी
बड़े हो, कहो सिखाने की बातें
मैं फ़रिश्ता नहीं न होंगी मुझसे
रोकर कभी भी हँसाने की बातें
- प्रदीप कांत
10 टिप्पणियां:
बहुत बहुत बधाई.......
सफलता सदा आपके कदम चूमे....
शुभकामनाएं.....
अनु
भाई प्रदीप जी बहुत -बहुत बधाई |मेरे पास कब आयेगी |
Badhai ho Pradeep ji....
वाह! बहुत बधाई...प्रकाशक महोदय से कहिये एक कापी वी पी से भिजवा दें मुझे.
मेरा पता है न?
Bahut,bahut mubarak ho! Rachana to behad sundar hai!
प्रदीप भाई शायरी की पहली किताब प्रकाशित होने पर ढेरों बधाइयाँ...ये किताब कहाँ से मिल सकेगी बताने का कष्ट करें...शायरी की किताबें मेरी कमजोरी है और नए शायरों को पढना मेरा सबसे बड़ा शौक...आपने देखा होगा के मैं अपने ब्लॉग पर शायरी की इताबों पर चर्चा किया करता हूँ इसी सिलसिले में मुझे आपकी किताब पढनी है...मेरी मदद करें
नीरज
9860211911
http://ngoswami.blogspot.com
नीरज जी,
ये कुछ और मित्रो ने भी पूछा है कि किताब कहाँ से मिलेगी? ये किताब बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित हुई है। पता है -
बोधि प्रकाशन
एफ-77, सेक्टर-9, रोड नं 11
करतारपुरा इंडस्ट्रियल एरिया
बाइस गोदाम,
जयपुर - 302 006
फोन नं है -
0141 2503989
098290 18087 (मायामृग - प्रबन्धक)
बहुत बहुत बधाई......
पहले प्यार और पहली किताब का जुनून अलग ही होता है। बहुत-बहुत बधाई प्रदीप।
एक टिप्पणी भेजें