शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

होली की शुभकामनाओं के साथ जयकृष्ण राय तुषार की गज़ल


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जयकृष्ण राय तुषार ग्राम-पसिका, जिला आज़मगढ़, (उत्तर प्रदेश) में जन्म
नवगीत, हिन्दी गजल, लेख, साक्षात्कार आदि का लेखन।
दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, आज, अमर उजाला नया ज्ञानोदय, आजकल, आधारशिला, अक्षर पर्व, जनसत्ता वार्षिकांक, गजल के बहाने आदि अनेक पत्र पत्रिकाओं में लेख, कविताएं, गजल आदि प्रकाशित। आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं अन्य प्राइवेट चैनलों से कविताओं का प्रसारण
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में राज्य विधि अधिकारी
सम्पर्क: जयकृष्ण राय तुषार
63 जी/7, बेली कॉलोनी
स्टैनली रोड, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मोबाइल:09415898913
भाई लोगों..., होली फिर से आ गई है। हमारी परम्परा में लगभग हर त्यौंहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली के साथ भी इसी तरह की कथा है। खैर..., हमारे यहाँ इन कथाओं के नाना प्रकार के ज्ञाता, महाज्ञाता बैठे हुए हैं और भूल ना जाए..., जनता उनसे समय समय पर इस बारे में सुनती रहती है। इसलिये इन कथाओं को बार बार बाँचने और सुनाने से कोई मतलब नहीं है। किंतु सुरसा के मुख की तरह बढती महँगाई के इस दौर में होली कैसी मनाई जाए? और अभी तो कोई हनुमान जी भी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं जो अपनी चतुराई से महँगाई रूपी सुरसा को बस में कर ले। फिर भी..., लाख दौर बुरा हो, अच्छे की उम्मीद बनी रहती है। इसलिये होली की शुभकामनाओं के साथ तत्सम में इस बार हालात का तीखा बयान करती जयकृष्ण राय तुषार की एक गज़ल...
- प्रदीप कांत
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यह वर्ष बेमिसाल है होली मनाइये
हर शख्स फटेहाल है होली मनाइये
मनमोहनी हॅंसी ने रुला करके रख दिया
सौ रुपये में दाल है होली मनाइये
कुर्सी महल पवार के हिस्से में दोस्तों
अपने लिए पुआल है होली मनाइये
घर में नहीं है चीनी तो गुझिया न खाइये
अफसर के घर में माल है होली मनाइये


रंगों में घोटाला है मिलावट अबीर में
मौसम भी ये दलाल है होली मनाइये
हाथों में ले अबीर अमर सिंह न बैठिए
घर में भले बवाल है होली मनाइये
राहुल भी ठाकरे से हैं होली के मूड में
सादा बस एक गाल है होली मनाइये
जनता का जिस्म पड़ गया नीला तो क्या हुआ
सत्ता का चेहरा लाल है होली मनाइये
पाले में नंगा जिस्म ले मरता रहे किसान
मस्ती में लेखपाल है होली मनाइये
पी करके भंग सो रही संसद विधायिका
अपना किसे खयाल है होली मनाइये
बहुमत में बहिन जी हैं विरोधी शिकस्त में
हाथी का सब कमाल है होली मनाइये
कैसा है इन्कलाब कोई शोर तक नहीं
बुझती हुई मशाल है होली मनाइये
-जयकृष्ण राय तुषार
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छाया - प्रदीप कान्त

यह मेरे दोस्त अरुण शर्मा की बिटिया चुनमुन (विभा) का फोटो है जो मैंने होली के अवसर पर अपने ही घर पर लिया था|

5 टिप्‍पणियां:

प्रदीप मिश्र ने कहा…

प्रदीप तुझे ज्यादा बधाई। जितनी अच्छी रचना है, उतनी ही रचनाशीलता के साथ खींचा गया फोटो भी लगाया है। जयप्रकाश हमारे समय के महत्वपूर्ण गीतकार हैँ। जैसा हमालोग चर्चा करते ही रहते हैं। बेहतरीन रचनात्मकता के साथ शुभकामना का यह अंदाज पसंद आया।- प्रदीप मिश्र

प्रदीप मिश्र ने कहा…

प्रदीप तुझे ज्यादा बधाई। जितनी अच्छी रचना है, उतनी ही रचनाशीलता के साथ खींचा गया फोटो भी लगाया है। जयप्रकाश हमारे समय के महत्वपूर्ण गीतकार हैँ। जैसा हमालोग चर्चा करते ही रहते हैं। बेहतरीन रचनात्मकता के साथ शुभकामना का यह अंदाज पसंद आया।- प्रदीप मिश्र

sandhyagupta ने कहा…

यह वर्ष बेमिसाल है होली मनाइये हर शख्स फटेहाल है होली मनाइये

Bahut achche.

shama ने कहा…

Wah!

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

बेहतर प्रस्तुति...
अच्छी ग़ज़ल...