मंगलवार, 30 नवंबर 2010

रश्मि रमानी की नई काव्यकृति का विमोचन

२७ नवम्बर २०१० (शनिवार) को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के तुलनात्मक भाषा अध्ययनशाला में कविता का वैश्विक परिदृष्य और आज की कविता पर केन्द्रित साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में भाषा अध्ययनशाला की निदेशक व सुप्रसिद्ध लेखिका पद्मा सिंह ने हिन्दी व सिन्धी भाषा की कवयित्री श्रीमती रश्मि रमानी की नई काव्यकृति स्मृति एक प्रेम की का विमोचन कर उन्हे शाल व श्रीफल से सम्मानित किया। पुस्तक पर केट के युवा वैज्ञानिक व सुप्रसिद्ध युवा कवि प्रदीप मिश्र व पत्रकार रजनी रमण शर्मा ने इस संग्रह में सम्मिलित प्रेम कविताओं को रेखांकित करते हुऐ विस्तार से चर्चा की।


मुख्य वक्ता डॉ सुब्रतो गुहा ने विश्व कविता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बताते हुऐ विश्व कविता के आधुनिक परिदृष्य पर विस्तार से चर्चा की। भारतीय कविता के लक्षण व पारम्पारिक कविता से भिन्नता बताते हुए गेटे (जर्मन), शू जि (चीन), होमर (यूरोप), वर्जिल राबर्ट फ्रस्ट, फिलिप लार्किन आदि की कविताओं की विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला। साथ ही संस्कृत, हिन्दी, उर्दू व बांग्ला आदि भाषाओं काव्य रचनाओं का उदाहरण देते हुए आज की कविताओं के विभिन्न आयामों की भी चर्चा की।


इस अवसर पर श्रीमती रश्मि रमानी ने अपनी रचना प्रक्रिया पर केन्द्रित वक्तव्य के साथ अपनी कविताओं का पाठ किया।


कार्यक्रम का संचालन डॉ पुष्पेन्द्र दुबे ने किया व आभार जयभीम बौद्ध ने माना।

6 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

सहितियिक खबर के लिए आभार !

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

nice

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

रश्मि रमानी जी को बहुत बहुत बधाई ......

उनकी कुछ बेहतरीन रचनायें भी देते तो उन्हें पढने का मौका भी मिलता .....

कुछ उनका परिचय भी ....!!

मेरे भाव ने कहा…

ऐसे सार्थक साहित्यिक आयोजन कविता लेखन, पठन , पाठन को बढ़ावा देते हैं . शुभकामना .

प्रदीप मिश्र ने कहा…

प्रदीप यह रिपोर्ट गलत है। पहली बात तो पद्मा जी ने लोकार्पण नहीं किया। वे कार्यक्रम की आयोजक थीं। गुहा जी ने जो गड़बड़ किया उसे पूरी तरह से खा गए। उनका व्याख्यान मूर्खतापूर्ण था। तीसरी बात मैं युवा वैज्ञानिक नहीं हूँ। तुम यह बात अच्छी तरह से जानते हो। आयोजक अज्ञानतावश बोल रहे थे। रश्मी जी के किताब का आयोजन था और उनपर भी कुछ बात हुई थी। रजनी रमण जी ने बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। अगर उसको रेखांकित करते तो रपट की सार्थकता होती। रश्मी जी की प्रेम कविताएं अच्छी हैं। सही सलाह है उनकी कुछ कविताओं को प्रकाशित करना चहिए था। साहित्य और उसके सरोकारों को तुम ठीक से समझते हो। इसलिए इतनी तल्ख प्रतिक्रिया दे रहा हूँ। हमारा दायित्व है कि लोगों तक सही सूचनाऐं पहुँचाएँ। अन्यथा चुप रहता।

प्रदीप कांत ने कहा…

प्रिय प्रदीप,

1. दरअसल यह रिपोर्टिंग मुझे आयोजकों ने प्रदान की है। जिसके अनुसार पद्माजी ने लोकार्पण किया है। गवाह के तौर पर फोटू में पद्माजी नज़र भी आ रही हैं।

2. रही बात गुहा जी की तो, मै किसी कारणबश गुहा जी के व्याख्यान के बीच में पहुँचा था (शायद काफी हिस्सा उसका खत्म हो गया था)

3. तीसरी बात युवा वैज्ञानिक की तो यह सच है कि तुम्हारे बारे में मैं जानता हूँ किंतु प्यारे मित्र, भले तुम इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हो पर एक वैज्ञानिक अनुसन्धान केन्द्र में कार्य करते हो, और वहाँ तुम इलेक्ट्रिकल से सम्बन्धित अपने आइडिया भी प्रयोग करते हो, इसलिये तुम्हे सामान्यत: युवा वैज्ञानिक से ही जाना जाता है। (हमारे सबके आई - कार्ड में वैज्ञानिक अधिकारी ही लिखा है)

4. रही बात रजनी रमण जी की महत्वपूर्ण टिप्प्णी और तुम्हारी भी
- "पुस्तक पर केट के युवा वैज्ञानिक व सुप्रसिद्ध युवा कवि प्रदीप मिश्र व पत्रकार रजनी रमण शर्मा ने इस संग्रह में सम्मिलित प्रेम कविताओं को रेखांकित करते हुऐ विस्तार से चर्चा की।"
और मैने इसके अतिरिक्त जो माँगा था वो न आयोजकों ने दिया न किसी और ने।

5. अब रश्मि जी की कविताओं का सवाल तो यह मैने सोचा भी था और हरकीरत 'हीर' की टिप्प्णी भी देख सकते हो, किंतु मेरे पास कविताएँ नहीं थी।