मुझे एक वसीयत लिखनी थी
आने वाली पीढ़ी के नाम
और छुपा देना था उसे
कविता की सतरों के भीतर
मुझे बनानी थी हत्यारों
की तस्वीर
और लिख देने थे उनके
नाम और पते।
कविता में हत्यारों की तस्वीर
बनाने की बात करने वाली ये कविता है कविता की सुपरिचित हस्ताक्षर किरण अग्रवाल
की। सिर्फ़ एक अनुरोध पर उन्होने तत्सम के लिये ये कविताएँ उपल्बध करवा दी हैं और
अब ये आपके हवाले...
- प्रदीप कान्त
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किरण अग्रवाल
जन्मः 23 अक्टूबर,
1956 को पूसा (बिहार)
शिक्षाः एम ए (अंग्रेजी)
वनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान
प्रकाशनः गोल-गोल घूमतीएक
नाव (कविता संग्रह), रूकावट के लिये खेद है (कविता संग्रह), धूप मेरे भीतर (कविता संग्रह), Turf Beneath the Feet (संजीव के
उपन्यास ‘पांव तले की दूब’ का
अंग्रेजी अनुवाद: सह अनुवादक राजीव अग्रवाल), जो इन पन्नों
में नहीं है (कहानी संग्रह)|
इसके अतिरिक्त साक्षात्कार, कथाक्रम,
कथादेष, हंस, वसुघा,
वागर्थ, अन्यथा, नया
ज्ञानोदय, वर्तमान साहित्य, समयांतर,
युद्धरत आम आदमी, पाखी, कादम्बिनी, दैनिक जागरण, जनसत्ता
आदि विभिन्न स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं, कहानी,
समीक्षा, संस्मरण/यात्रा संस्मरण, लेख, अनुवाद आदि का प्रकाशन। कुछ अंग्रेजी की कविताएँ भी प्रकाशित।
कुछ रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू,
बंगला, निमाड़ी व पंजाबी में अनुवाद
आकाशवाणी के विविध
केन्द्रों से कहानी, कविता और वार्ताओं का प्रसारण. दूरदर्शन
देहरादून से आज की कविता पर साक्षात्कार व कविताएँ प्रसारित।
विदेश यात्राएँ: सूडान,
मिश्र, यमन, अमेरिका,
जर्मनी, फ्रांस, स्विटजरलैण्ड
पुरस्कार: ‘बिगुल’
अखिल भारतीय सैनिक कहानी प्रतियोगिता, सामयिकी’
अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता और ‘विपाशा’
अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता में पुरस्कार
सम्प्रति: स्वतंत्र लेखन
सम्पर्कः 1/212, फूलबाग,
जी बी पंत विश्वविद्यालय, पंतनगर-263145 (उत्तराखंड)
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नेट पर...
नेट पर एक पूरी दुनिया है
हर क्षण रूप बदलती हुई
गति और रोमांच से भरपूर
जाति, धर्म और वर्ण
से परे
जिसके भीतर कोई भी प्रविष्ट
हो सकता है
निःषंक-निर्भीक-निर्निवाद
नेट पर एक पूरी दुनिया है
और इस दुनिया के एक हिस्से
में
बंद है मेरा प्रोफाइल
जिसे खोल सकता है
की बोर्ड पर किसी की
अंगुलियों का हल्का सा दबाव मात्र
संसार के किसी भी कोने से
किसी भी समय
नेट पर एक पूरी दुनिया है
इस दुनिया के एक हिस्से में
बंद है मेरा प्रोफाइल
इस प्रोफाइल में दर्ज है मेरा
नाम
मेरा पता, मेरी उम्र,
मेरी योग्यता
मेरी पसन्द-नापसन्द, यात्राएँ,
उपलब्धियाँ
मेरे अनुभव, मेरी जरूरतें,
मेरा कॉन्टेक्ट नम्बर और ई-मेल आई डी
सब कुछ मौजूद है वहाँ मेरे
बारे में
लेकिन मैं कहाँ हूँ वहाँ
सोचती हूँ मैं
000
अपने से मिलने
मैं अपने से मिलने गई
थी उसके पास
और उसे लगा मैं उससे
मिलने आयी हूँ
मैं अपने से मिलने गई
थी उसके पास
और उसने मुझे पहचानने
से इंकार कर दिया
मैं अपने से मिलने गई
थी उसके पास
लेकिन वहाँ तो नो
इंटरी का बोर्ड लगा था
फिलहाल लौट आयी हूँ
मैं वापस
लेकिन जल्दी ही पुनः
जाऊँगी उसके पास
अपने से मिलने
000
कविता के इलाके में
कविता के इलाके में
पुलिस से भाग कर नहीं घुसी थी
मैं
वहाँ मेरा मुख्य कार्यालय था
जहाँ बैठकर
जिन्दगी के कुछ महत्वपूर्ण
फैसले करने थे मुझे
यह सच है तब मैं हाँफ रही थी
मेरी आँखौं में दहशत थी
पर कोई खून नहीं किया था
मैंने
लेकिन मैं चश्मदीद गवाह थी
अपने समय की हत्या की
जिसे जिन्दा जला दिया गया था
धर्म के नाम पर
मैं पहचानती थी हत्यारों को
और हत्यारे भी पहचान गये थे
मुझे
वे जो ढलान पर दौड़ते हुए
मेरे पीछे आये थे
वह पुलिस नहीं थी
पुलिस की वर्दी में वही लोग
थे वे
जो मुझे पागलों की तरह ढूँढ़
रहे थे
जो मिटा देना चाहते थे
हत्याओं के निशान
किसी तरह उन्हें डॉज़ दे
घुस ली थी मैं कविता के इलाके
में
और अब एक जलती हुई शहतीर के
नीचे खड़ी हाँफ रही थी
जो कभी भी मेरे सिर पर गिर
सकती थी
दंगाई मुझे ढूँढ़ते हुए यहाँ
तक आ पहुँचे थे
मुझे उनसे पहले ही अपने मुख्य
कार्यालय पहुँचना था
और निर्णय लेना था कि किसके पक्ष
में थी मैं
मुझे एक वसीयत लिखनी थी आने
वाली पीढ़ी के नाम
और छुपा देना था उसे कविता की
सतरों के भीतर
मुझे बनानी थी हत्यारों की
तस्वीर
और लिख देने थे उनके नाम और
पते।
000
हाथ
आज पहली बार अपने
हाथों की उभरती नसों पर निगाह पड़ी मेरी
और मैं भयभीत हो गई
ये वे हाथ थे जिन्हें
देखकर रश्क होता था मेरी सहपाठिनों को
ये वे हाथ थे जिनपर
टिक जाती थीं पुरूषों की निगाहें
ये वे हाथ थे जिन्हें
एक बार मेरे जर्मन डॉक्टर ने यकबयक
(जिसके पास मैं
चेकअप के लिये जाती थी अक्सर)
अपने हाथों में लेकर
कहा था..
Ihr Händesind sehr schön *
और मेरे दिल की धड़कन
सहसा बंद हो गई थी
और डॉक्टर घबड़ाकर
मेरी नब्ज ढूँढ़ने लगा था
आज पहली बार अपने उन
हाथों की उभरती नसों पर निगाह पड़ी मेरी
इन हाथों के पास अब
सहारा था कलम का
जिसका इस्तेमाल कर
सकते थे वे बखूबी खुरपी की तरह
और बंदूक की तरह भी
वे लिख सकते थे इससे
प्रेम पत्र
और कर सकते थे
हस्ताक्षर शान्ति प्रस्तावों पर
वे एक पूरी दुनिया को
बदलने का माद्दा रखते थे
*तुम्हारे हाथ
बहुत खूबसूरत हैं
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